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Friday, February 26, 2010

बिहार से गुजरे बगैर नहीं जा सकते उत्तर प्रदेश के सोहगीबरवा गांव में

प्रकाशन तरीख : 18-Feb-2010 08:08:38 द्वारा: शिव प्रकाश गौर
www.merikhabar.com

महाराजगंज, उत्‍तर प्रदेश: नेपाल की सीमा से लगे हुए उत्‍तर प्रदेश के महाराजगंज जिला और इस जिले का गांव सोहगीबरवा विडंबनाओं का पिटारा है। ब्‍लॉक मुख्‍यालय निचलौल व जिला मुख्यालय महाराजगंज पहुंचना हो या फिर सोहगीबरवा गांव में, बिहार की सीमा में प्रवेश करने के सिवा कोई रास्ता नही। बिहार प्रदेश के रास्ते पहले पड़ोसी जिले कुशीनगर में आने के बाद ही महाराजगंज और सोहगीबरवा में पदार्पण सम्भव है। इसके अलाव, कोई दूसरा विकल्‍प नहीं है।

बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, संचार सहित आवश्यक इंसानी आवश्यकताओं का अभाव सोहगीबरवा गांव की पहचान बन चुका है। इस गांव का कोई भी ब्यक्ति सरकारी सेवा में नही हैं। जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों की निगाहों के सामने सोहगीबरवा गांव मानवीय संसाधनों के अभाव में प्राचीन काल का एक पुरातात्विक स्‍थान बन कर रह गया है। विद्यालय और पुलिस थाना भी यहां औपचारिक रूप से ही हैं। सजायाफ्ता की तैनाती से विद्यालय और थाना इस इलाके का आर्दश हैं! अंग्रेजी दासता को सजाए सोहगीबरवा गांव आजाद हिन्दुस्तान का राष्ट्रीय धरोहर बनकर रह गया है! ढिबरी की टिम-टिमाहट में इस गांव के सांयकालीन सौन्दर्य की कल्पना पौराणिक गाथाओं की याद ताजा कर देती है!

महाराजगंज के विकास खण्ड निचलौल के इस पिछड़े गांव की आबादी 15 हजार है। लेकिन, जंगल का समीपवर्ती गावं होने के चलते यहां के लोगों की जीवन चर्या जनजातीय समुदायों जैसी है और पालन-पोषण व आजीविका के साधन भी वैसे ही हैं, जबकि जबकि आजादी मिले 62 साल गुजर चुके हैं।

सोहगीबरवा की भौगोलिक स्थिति भी काफी प्राकृतिक है। नारायणी नदी के दियारा में बसे टापू जैसे इस गांव को बरसात का मौसम और र्दुगम बना देता है। तीन तरफ से नारायणी और रोहुआ पहाड़ी नाले के जल समागम और चौथी तरफ जंगल से घिरा यह गांव बरसात में अलग-थलग पड़ जाता हें। किन्तु, इसे पर्यटन स्‍थल का भी दर्जा नही मिला, वरना इस गांव के लोगों को एक आर्थिक सहारा मिलता, साथ ही विकासशील पर्यटकों के दर्शन लाभ से आचार-विचार में बदलाव की दिशा भी मिलती। संचार क्रांति का फायदा इस गांव के लोग बिहार जाकर उठा पाते हैं। इसके लिए लोग बिहार राज्‍य में जाते हैं और फिर एसटीडी कोड लगा कर अपने जिले में बात कर पाते हैं।

ग्रामीण बिद्युतीकरण के अभियंताओं ने यहां बिद्युतीकरण की संभावनाओं से साफ इंकार कर दिया है। न जाने क्यूं उत्तर प्रदेश की दलित हमर्दद सरकार और केन्द्र की यूपीए सरकार के विकास अथवा कल्याणकारी कार्यक्रमों से यह गांव अब तक अछूता है, जबकि इस गांव में पंचायत के चुने हुए नुमाइन्दे से लेकर जिले में प्रमुख, जिला पंचायत, विधायक, सांसद कार्यपालिका, न्यायपालिका सभी हैं।

महाराजगंज के जिलाधिकारी विनय कुमार श्रीवास्तव से मिलकर जब इस सम्बन्ध में जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने भी इस कड़वी सच्चाई पर दुख व्यक्त किया। जिलाधिकारी ने कहा कि उन्‍होंने सोहगीबरवा गांव में ‘नेडा’ को सोलर लाइट लगाने को कहा हैं। बिहार और नेपाल के समीपवर्ती क्षेत्र में ऐसे तमाम गांव हैं, जिन्हें विकसित करने की योजना बनायी गयी है, जिसमें सोहगीबरवा गांव भी शामिल है।

यहां के मौजूदा सांसद हर्षवर्द्धन सिंह ने एक मुलाकात में कहा कि महाराजगंज जिले में सड़कों, संचार माध्‍यमों, बाढ़ नियंत्रण, विद्युतीकरण एवं इलाके के आर्थिक विकास का केंद्र साकार ने संज्ञान लिया है। शीघ्र ही विशेष पैकेज लाकर इस जिले के पिछड़े क्षेत्रों को विकसित किया जायेगा।

सोहगीबरवा गांव के प्रधान का रोना है कि आजाद भारत की तस्वीर आज तक हमारे गांव के लोग देख नही पाये हैं, इसीलिए गांव के लोग अपनी पुरानी संस्कृति को ही भारत का सच मानकर अपने दिल में बिठाए हुए हैं!

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